‘रामायण में दारा सिंह का त्याग’: मास्क पहनकर बैठ भी नहीं पाते थे, पूंछ के लिए अलग से था स्पेशल स्टूल!

रामायण में दारा सिंह का त्याग आज भी लोगो के एक प्रेरणा है। हनुमान का किरदार निभाने के लिए दारा सिंह ने मटन चिकन से लेकर कई त्याग किए थे, जो आज भी लोगो के लिए एक प्रेरणा है। जानिए रामायण से जुड़े कुछ अनसुने किस्से!
रामायण में दारा सिंह का त्याग

रामायण में दारा सिंह का त्याग जो बना प्रेरणा

आज भी लोगो के लिए दारा सिंह का किरदार दिलो में जिंदा है। जब हम 1987 में प्रशासित हुए रामानंद सागर की रामायण की बात करते हैं। तो सबसे पहले दारा सिंह का चेहरा सामने आता है। हनुमान जी का चेहरा जिसने करोड़ों भारतीयों के दिलों को छू लिया था।

लेकिन क्या आप जानते है कि दारा सिंह ने इस किरदार को निभाने के लिए कितनी मुश्किलों और त्यागें का सामना किया था।

हनुमान जी बनने के ना बोल दिया था

जब रामानंद सागर ने दारा सिंह को हनुमान जी का किरदार निभाने के बोला, तो उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि उनका शरीर इस किरदार के लिए सही नहीं है। लेकिन रामानंद सागर इस किरदार में सिर्फ दारा सिंह को ही देखना चाहते थे। उनका मानना था कि दारा सिंह की छवि और कद काठी ही हनुमान जी की पहचान बन सकती हैं।

हनुमान जी मेकअप में लगते 4 घंटे से ज्यादा!

हनुमान जी के रूप में दिखने के लिए दारा सिंह को अपने चेहरे पर एक खास मास्क पहना पड़ता था। यह मास्क इतना कठिन था कि उसे पहनने ओर उतारे ने में बहुत ज्यादा समय लगता था। पूरे हनुमान जी के किरदार को तैयार करने में ही 3 से 4 घंटे लगते थे। और इस पूरी प्रक्रिया के दौरान लगातार 8 से 9 घंटे कुछ खा नहीं पाते थे। रामायण में दारा सिंह का त्याग इस वजह से एक प्रेरणा के रूप में देखा जाता हैं।

पूछ के कारण बैठना भी होता था मुश्किल

हनुमान जी के किरदार की एक और मुश्किल थी। उनकी पूछ! मेकअप के बाद जब पूछ लगाई जाती थी, तो दारा सिंह के लिए बैठ पाना भी मुश्किल हो जाता था। इसलिए एक अलग से स्टूल भी रखी गई थी। जिस में पूछ रखने की अलग से जगह होती थी।

प्रेम सागर, यानी रामानंद सागर के बेटे उन्होंने बताया कि, सेट पर हर चीज को इतनी परफेक्ट रखा गया था कि हर छोटी जरूरत पर भी पूरा ध्यान दिया गया था।

रामायण को मिला दर्शकों का प्यार

रामायण में दारा सिंह का त्याग और उनकी मेहनत का ही नतीजा है। दर्शकों ने उन्हें असली हनुमान मान लिया था। जब भी दारा सिंह स्क्रीन पर आते, लोग उने झुक कर प्रमाण करते थे। आज भी जब रामायण की बात होती हैं, रामायण में दारा सिंह का त्याग का सबसे ऊपर रखा जाता हैं।