नोखा बुर्जुग हत्या मामला: सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा, कोर्ट ने 8 साल बाद लिया फैसला!

नोखा बुर्जुग हत्या मामला में कोर्ट ने 8 साल बाद बड़ा फैसला लिया है। मघाराम और कैलाश को आजीवन कारावास ओर ₹50,000 जुर्माने की सजा मिली है। जाने पूरी जानकारी।
नोखा बुर्जुग हत्या मामला

नोखा, बीकानेर।

नोखा बुर्जुग हत्या मामला में आखिरकार 8 साल बाद इंसाफ मिला है। नोखा एडीजे कोर्ट के पीठासीन अधिकारी मुकेश कुमार ने इस हत्याकांड मामले में दो सगे भाइयों मघाराम और कैलाश को दोषी करार देते हुए। उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों पर ₹50,000 , ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया है।

यह मामला 13 मार्च 2017 को उस वक्त सामने आया था। जब वार्ड नंबर 23 निवाशी रूपसिंह ने पीबीएम हॉस्पिटल में पुलिस को बयान दिया था। बताया कि उसके पड़ोसी मघाराम और उसका भाई कैलाश बिश्नोई ने उस पर जानलेवा हमला किया है।

नोखा बुर्जुग हत्या मामला की पूरी जानकारी

रूपसिंह का कहना है कि उसकी टाइल्स की फैक्ट्री है। मघाराम एक ट्रक ड्राइवर है। वह मघाराम से ₹50,000 रुपए मांग रहा था। 12 मार्च 2017 की शाम को जब वह आटा चाकी से आटा लेने जा रहा था। तब रास्ते में मघाराम और उसका भाई कैलाश बिश्नोई खड़े थे। रूपसिंह ने जब मघाराम से अपने पैसे मागे तो दोनों भड़क उठे। घर जाकर लोहे की रॉड और लाठिया लेकर अपने परिजनों के साथ गली में आ गए।

इसके बाद आरोपी मघाराम और कैलाश ने अपने परिजनों के साथ मिलकर रूपसिंह पर हमला कर दिया। जब उनके पिता लक्षण सिंह बचाने आए। रूपसिंह के पिता के सर पर भी वार कर दिया। दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। लक्ष्मण सिंह को पीबीएम हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

पुलिस की जांच और कोर्ट की सुनवाई

इस नोखा बुर्जुग हत्या मामला को पुलिस ने बेहद गंभीरता से लिया। तत्कालीन अधिकारी दरजाराम ( सीओ, सुजानगढ़ ) ने मौके का मुवायना किया ओर सबूत जुटाए। हथियारों की एफएसएल रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई। जिन हथियारों से हमला हुआ था। उन पर मृतक का खून मिला।

मामले में कुल 20 गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष की और एडवोकेट कुलदीप शर्मा में मजबूत पैरवी की है। अदालत ने मघाराम और कैलाश को हत्या का दोषी माना जबकि आरोपियों की मां को संदेह का लाभ देते हुए। बरी कर दिया गया है।

एडवोकेट का बयान

नोखा बुर्जुग हत्या मामला के पैरवी कर्ता एडवोकेट कुलदीप शर्मा ने बताया कि,

मामले में हमारे पास पुख्ता सबूत और मजबूत गवाह थे। अभियोजन पक्ष ने पूरी ईमानदारी से कोर्ट में अपना पक्ष रखा और आखिरकार इंसाफ मिला है।

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