डिजिटल अरेस्ट: एक नई साइबर ठगी जो आपको जेल नहीं, सीधे कर्ज में पहुंचा सकती है
क्या कभी आपको भी किसी अनजान नंबर से कॉल आया और कहा गया कि आप “डिजिटल अरेस्ट” पर हैं?
अगर हां, तो सावधान हो जाइए! यह एक नया साइबर फ्रॉड का तरीका है जो अब बुजुर्गों और पढ़े-लिखे लोगों को भी निशाना बना रहा है।
मोहाली की बुजुर्ग महिला से 1.03 करोड़ की ठगी
मोहाली की 65 वर्षीय चरणजीत कौर को एक अंजान कॉल आया। कॉलर ने खुद को पुलिस विभाग से बताते हुए कहा कि उनके बैंक खाते में विदेशी ट्रांजेक्शन हुए हैं और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हो चुका है।
डर और भ्रम की स्थिति में महिला ने जांच में “डिजिटल रूप से सहयोग” देने के लिए अलग-अलग ट्रांजेक्शन के जरिए 1.03 करोड़ रुपए ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।
कैसे किया गया ‘डिजिटल अरेस्ट’?
- उन्हें धमकाया गया कि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो चुका है।
- कहा गया कि उन्हें 24 घंटे में साउथ इंडिया के किसी थाने में रिपोर्ट करना होगा।
- महिला की असमर्थता पर कहा गया कि उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” किया जा रहा है।
- वीडियो कॉल पर जांच का नाटक करते रहे और पैसे ट्रांसफर करवाते रहे।
सच्चाई: भारत के किसी भी कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसा कोई प्रावधान नहीं है।
पुलिस और जांच एजेंसियां कभी वीडियो कॉल पर न अरेस्ट करती हैं, न पैसा मांगती हैं।
सेक्टर-32 के फार्मासिस्ट से 60.65 लाख की ऑनलाइन ठगी
फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए साइबर ठगों ने फार्मासिस्ट सुनील कुमार से संपर्क किया। उन्हें अमेरिका की दवा कंपनी को एवास्टिन पाउडर सप्लाई करने का झांसा दिया गया।
ठगी का पूरा पैटर्न:
- फेसबुक से संपर्क: एक व्यक्ति ने खुद को मॉरिस पॉलिन बताया।
- ईमेल और व्हाट्सएप बातचीत से विश्वास बनाया।
- इंदौर की एक कंपनी से दवा खरीदने के लिए 13 लाख ट्रांसफर करवाए।
- ट्रांसपोर्ट और अन्य चार्जेस के नाम पर अतिरिक्त 47 लाख मांगे और हड़प लिए।
आखिर में न दवा मिली, न पैसे। संपर्क बंद कर दिया गया।
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सबक जो हर भारतीय को जानना चाहिए
- डिजिटल अरेस्ट = झूठा जाल
- पुलिस कभी कॉल या वीडियो चैट पर आपको अरेस्ट नहीं करती।
- अगर कोई ऐसा दावा करे, तुरंत सतर्क हो जाएं।
- कोई भी विदेशी या इंटरनेशनल डील बिना वेरिफिकेशन के न करें
- किसी भी व्यापारिक सौदे से पहले कंपनी की पूरी जांच-पड़ताल करें।
- साइबर ठग डर और भ्रम का फायदा उठाते हैं
- उनकी ताकत आपकी घबराहट है। इसलिए शांत रहें और निर्णय सोच-समझकर लें।
अगर आप बनें साइबर ठगी का शिकार, तो क्या करें?
🔹 तुरंत 1930 पर कॉल करें – यह नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन है।
🔹 www.cybercrime.gov.in पर जाकर शिकायत दर्ज करें।
🔹 अपने नजदीकी साइबर थाना या पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराएं।
🔹 जिस बैंक खाते में पैसा भेजा गया हो, उस बैंक को तुरंत सूचित करें ताकि खाता फ्रीज किया जा सके।
कैसे बचें डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर जाल से?
सुरक्षा टिप्स | विवरण |
---|---|
अनजान नंबर से आई कॉल्स को नजरअंदाज करें | चाहे वो पुलिस या सरकारी अधिकारी बनकर ही क्यों न बात कर रहे हों |
वीडियो कॉल या चैट पर कभी भी पैसा ट्रांसफर न करें | ये 100% फ्रॉड का हिस्सा होता है |
सोशल मीडिया के ज़रिए आई बिजनेस डील्स से सावधान रहें | कभी भी बिना वेरीफाई किए बड़ा ट्रांजेक्शन न करें |
अपने बुजुर्गों को इन फ्रॉड्स के बारे में जानकारी दें | बुजुर्ग ज्यादा आसान टारगेट होते हैं |
डिजिटल अरेस्ट कोई कानून नहीं, सिर्फ साइबर अपराधियों की चाल है।
आज ये मोहाली की महिला और एक फार्मासिस्ट थे, कल आप भी हो सकते हैं। इसलिए खुद को और अपने परिवार को इस नए साइबर फ्रॉड से जागरूक करें। डरें नहीं, सतर्क रहें और ठगों को उनके ही जाल में फंसने न दें।
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