क्यों लग गए ‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर? बम्हौर गांव आजमगढ़ में डर और नाराज़गी की अनसुनी कहानी!

बम्हौर गांव आजमगढ़ में महिलाओं की छेड़छाड़, धमकियों और पुलिस की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने घरों पर लगाए 'मकान बिकाऊ है' के पोस्टर। जानिए पूरा मामला...
बम्हौर गांव आजमगढ़

आजमगढ़ के बम्हौर गांव में क्यों लगा ‘मकान बिकाऊ है’ का पोस्टर?

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के बम्हौर गांव में एक अलग ही किस्म का विरोध देखने को मिला। यहां के कई ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों के बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में “मकान बिकाऊ है” के पोस्टर लगा दिए हैं। यह सिर्फ एक पोस्टर नहीं, बल्कि ग्रामीणों की निराशा, असुरक्षा और पुलिस-प्रशासन से नाराज़गी का प्रतीक बन गया है।

क्या है बम्हौर गांव आजमगढ़ विवाद?

गांव में 3 जून को राकेश कन्नौजिया की बेटी की शादी थी। शादी में डीजे बज रहा था, महिलाएं कुएं की पूजा के लिए निकलीं, लेकिन उसी वक्त अबुजैद, रहमान, वकार, वसीम समेत 10-12 लड़के वहां पहुंच गए और महिलाओं के डांस का वीडियो बनाना शुरू कर दिया। मना करने पर मारपीट और धमकियां दी गईं।

घटना में घायल हुए लोग:

  • संजना (17)
  • अंगेश (22)
  • संदीप (27)
  • रंजना (19)
  • अनीता (40)
  • रितेश (20)
  • गोविंदा (25)

“हमारे घरों में पूजा भी नहीं कर सकते…”

गांव की रहने वाली अनीता देवी बताती हैं,

“3 जून को मेरी बेटी की शादी थी। पूजा के दौरान लड़के मोबाइल कैमरे से लड़कियों के वीडियो बना रहे थे। जब विरोध किया तो उन्होंने गालियां दीं और मारपीट करने लगे।”

डर का ऐसा माहौल कि घर बेचने की नौबत आ गई

गांव के बहादुर कन्नौजिया कहते हैं,

“हमारी बेटियों को लगातार तंग किया जाता है, धमकियां दी जाती हैं। पुलिस भी कोई मदद नहीं करती। मजबूरी में ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाने पड़े।”

पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

पुलिस ने माना है कि छेड़खानी, धमकी और मारपीट हुई थी, और आरोपियों पर छेड़खानी, बलवा, मारपीट, धमकी और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल गांव में PAC की तैनाती कर दी गई है और जांच क्षेत्राधिकारी (CO) स्तर पर की जा रही है।

दूसरी तरफ का पक्ष क्या कहता है?

घटना में शामिल मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग कहते हैं कि

“हमने डीजे की आवाज बंद करने को कहा था क्योंकि हमारे परिवार में बीमार सदस्य था। लेकिन कन्नौजिया परिवार ने उल्टा हम पर ही हमला कर दिया। बाद में हमारे खिलाफ ही एफआईआर करवा दी गई।”

सामाजिक संतुलन में असंतुलन

बम्हौर गांव में लगभग 500 मुस्लिम परिवार और मात्र 40 हिंदू परिवार हैं। हिंदू समुदाय के लोग गांव के बीच में रहते हैं जबकि चारों ओर मुस्लिम आबादी है। जातीय और धार्मिक असंतुलन के चलते टकराव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और प्रशासन के रवैये से लोगों में गहरी नाराज़गी है।

आखिर सवाल ये उठता है…

  • क्या सिर्फ पोस्टर लगाना ही हल है?
  • कब सुनी जाएगी गांव के डरे हुए लोगों की आवाज?
  • क्या हमारी बेटियों को सुरक्षित माहौल देने में हम विफल हो चुके हैं?

बम्हौर गांव आजमगढ़ विवाद न सिर्फ एक स्थानीय घटना है, बल्कि यह पूरे समाज को सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक बेटियों की सुरक्षा के लिए लोगों को घर छोड़ने की नौबत आएगी? जब तक पुलिस-प्रशासन निष्पक्ष और तेज़ कार्रवाई नहीं करता, तब तक लोगों का सिस्टम से भरोसा उठता रहेगा।

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