पिता को खोया कैंसर से, अब 100 एकड़ में कर रहे प्राकृतिक खेती यशपाल बना रहे किसानों की नई पहचान!

प्राकृतिक खेती

कैंसर से बदली जिंदगी, अब प्राकृतिक खेती से बना रहे पहचान

रेवाड़ी हरियाणा, कभी सेना के सिपाही रहे पिता को कैंसर से जंग हारनी पड़ी। उस एक हादसे ने यशपाल खोला कि सोच ही नहीं, उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। पिता की मौत के बाद उन्होंने कहा खेती तो करेंगे, लेकिन बिना जहर वाली, यानी बिना किसी रसायन बिना कोई दवाई के करेंगे।

आज यशपाल खोला प्राकृतिक खेती के दम पर दिल्ली एनसीआर में न सिर्फ लोगों हेल्दी गेहूं और सब्जियां खिला रहे है। बल्कि किसानों की जिंदगी भी सवार रहे है।

शुरआत कुछ इस तरीके से हुई

वर्ष 2017 में धारूहेड़ा में राव संजय के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती की छोटी शुरुआत की थी। जहां पहले केवल कुछ एकड़ की जमीन थी। वही आज उनके पास धारूहेड़ा और कवाली मिलकर करीब 100 एकड़ जमीन है। जिस पर पूरी तरह प्राकृतिक खेती की जा रही है।

खेत से फ्लैट तक द बाग मोबाइल ऐप का कमाल

किसान यशपाल ने खुद की मोबाइल ऐप द बाग (The Bagh) शुरू की है। जिसके जरिए वे अपने खेती से सीधे दिल्ली, गुरुग्राम ओर एनसीआर के फ्लैट्स तक अनाज और सब्जियां पहुंचा रहे है।

उनके ग्राहकों में हाई प्रोफ़ाइल लोग शामिल हैं। जो होम डिलीवरी के जरिए शुद्ध और केमिकल फ्री प्रोडक्ट्स मगवा रहे है।

अरावली किसान क्लब से 800+ किसान जुड़े

यशपाल ने अरावली किसान क्लब कल्याण समिति का गठन किया है। जिससे आज 800 से अधिक किसान जुड़े हैं। इस माध्यम से वो किसानों को प्राकृतिक खेती करना सिखा रहे है।

किसान रत्न अवॉर्ड से सम्मानित

उनकी लगन और मेहनत को सलाम करते हुए हरियाणा कृषि विश्विद्यालय ने यशपाल को किसान रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया है। यह समान सिर्फ यशपाल के लिए, बल्कि हर उस किसान के लिए है जो सीधा मिटी से रिश्ता जोड़कर बिना जहर फसल उगा रहा है।

यशपाल खोला कि कहानी सिर्फ एक किसान की सफलता नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है। एक ऐसी खेती जो स्वास्थ्य, पर्यावरण और लोगों तीनों के लिए सही है। प्राकृतिक खेती के इस मिशन से जुड़ना आज हर किसान की जरूरत है।

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