स्कूलों में ड्रग्स माफिया: बच्चों को लत लगाकर बना रहे स्मैक और गांजे के सौदागर
क्या आप जानते हैं कि आपके बच्चों का स्कूल अब नशे का अड्डा बनता जा रहा है? राजधानी जयपुर में स्कूलों में ड्रग्स माफिया इस कदर सक्रिय हो चुका है कि वह न सिर्फ स्कूली बच्चों को नशे की लत लगा रहा है, बल्कि उन्हीं बच्चों से स्मैक और गांजा बिकवा रहा है। राजस्थान पत्रिका की एक स्टिंग ऑपरेशन रिपोर्ट ने इस भयावह सच्चाई का पर्दाफाश किया है।
बच्चों को मिल रहा है ‘ड्रग डिस्काउंट’!
जी हां, आपने सही पढ़ा। स्कूल से आने वाले बच्चों को नशा सस्ते में बेचा जा रहा है।
- 150 रुपए की गांजा 100 में
- 400 रुपए की स्मैक 300 में
यानी स्कूली बच्चे अब टारगेट मार्केट बन चुके हैं। यही नहीं, इन्हें आगे नशे का सौदागर बनाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
कैसे काम करता है यह नेटवर्क?
1. स्कूलों के बाहर डीलिंग प्वाइंट
अगरा रोड, जवाहर नगर, टीला नंबर-6 और रोटरी सर्कल जैसे इलाकों में स्कूली बच्चे ड्रग्स बेचते हुए पाए गए। इनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि पुलिस की गाड़ी सामने से निकलने पर भी इन्हें कोई डर नहीं होता।
2. महिलाएं भी शामिल
कुछ इलाकों में ड्रग्स बेचने का काम महिलाएं संभाल रही हैं। एक महिला ने स्टिंग के दौरान साफ-साफ कहा – “300 में दे रही हूं, स्कूल से हो तो डिस्काउंट है।”
3. गुंडा गैंग की भागीदारी
इन बच्चों को स्कूलों में ही तैयार किया जाता है। ड्रग्स लेने की आदत डालने के बाद इन्हें ‘गुंडा गैंग’ में शामिल किया जाता है, जहां से इनका बचपन पूरी तरह नशे की गिरफ्त में चला जाता है।
नशे की लत और अपराध का सीधा संबंध
एक 19 वर्षीय युवक चेतन प्रकाश उर्फ चंदू को पुलिस ने मोबाइल चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया। उसने कबूल किया कि वह स्कूल से ही नशे का आदी था, और इसी लत को पूरा करने के लिए चोरी करता था।
अब सवाल ये उठता है – ये बच्चे कब बड़े अपराधी बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता!
पुलिस की कार्रवाई और सीमाएं
जयपुर कमिश्नरेट की टीम ने:
- 1100+ केस दर्ज किए
- 1400+ लोगों की गिरफ्तारी की
- ऑपरेशन ‘क्लीन स्वीप’ भी चलाया
लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि थाना पुलिस के सामने ड्रग्स माफिया बेखौफ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत से ये सब हो रहा है।
पैरेंट्स और समाज की जिम्मेदारी
अब सिर्फ सरकार और पुलिस नहीं, माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका भी बेहद जरूरी हो गई है।
- बच्चों के व्यवहार पर नज़र रखें
- स्कूल में अचानक हो रहे बदलावों को नजरअंदाज न करें
- बच्चों से खुलकर बात करें
स्कूलों में ड्रग्स माफिया से बचाने के उपाय
स्कूलों में काउंसलिंग सेशन
CCTv की मॉनिटरिंग
पुलिस और स्कूल प्रशासन के बीच तालमेल
स्थानीय वॉलंटियर्स की मदद
माता-पिता को जागरूक करना
निष्कर्ष: कब जागेगा समाज?
स्कूलों में ड्रग्स माफिया अब एक हकीकत है, जिसे अनदेखा करना आने वाली पीढ़ियों को खो देने जैसा होगा। बच्चों को सस्ते ड्रग्स देकर उन्हें तस्कर बनाना एक खतरनाक रणनीति है, जिसे अभी रोकना ज़रूरी है। पुलिस, मीडिया, शिक्षक और अभिभावक मिलकर ही इसे खत्म कर सकते हैं।
स्कूलों में ड्रग्स कैसे पहुंच रहा है?
स्कूलों के आसपास के इलाकों में सक्रिय ड्रग पैडलर्स स्कूली बच्चों को टारगेट करते हैं। सस्ते में ड्रग्स देकर पहले लत लगाई जाती है, फिर इन्हें नेटवर्क का हिस्सा बना दिया जाता है।
क्या पुलिस को इसकी जानकारी है?
हाँ, पुलिस ने कई बार छापेमारी की है, लेकिन स्थानीय स्तर पर ड्रग्स माफिया की पकड़ और पुलिस की मिलीभगत के आरोप भी सामने आए हैं।
माता-पिता क्या कर सकते हैं?
बच्चों पर ध्यान दें, बातचीत करें, उनके दोस्तों और गतिविधियों पर नजर रखें। साथ ही स्कूल प्रबंधन से भी सहयोग लें।
अगर अब भी हम नहीं जागे, तो कल हमारा बच्चा उसी जाल में फंसा हो सकता है, जिसकी कहानी आज दूसरों की है।
अब वक्त है कि स्कूलों में ड्रग्स माफिया के खिलाफ पूरे समाज को एक
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