श्रीडूंगरगढ़ ट्रॉमा सेंटर: अब नहीं रुकेगा संघर्ष, घायल दम तोड़ रहे हैं, जनता मैदान में
स्थान: श्रीडूंगरगढ़, राजस्थान
मुद्दा: ट्रॉमा सेंटर का निर्माण
श्रीडूंगरगढ़ इन दिनों एक महत्वपूर्ण जन आंदोलन का केंद्र बना हुआ है। कारण है — श्रीडूंगरगढ़ ट्रॉमा सेंटर की सालों से लंबित मांग। आए दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं और समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई जानें चली जा रही हैं। इसी के विरोध में अब क्षेत्र की जनता, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर बिगुल बजा दिया है।
क्यों जरूरी है श्रीडूंगरगढ़ ट्रॉमा सेंटर?
श्रीडूंगरगढ़ कस्बा बीकानेर जिले का एक प्रमुख केंद्र है। यहां पर अक्सर सड़क हादसे होते हैं, और नजदीकी बड़े अस्पताल तक पहुंचने में देर हो जाती है। ऐसे में श्रीडूंगरगढ़ ट्रॉमा सेंटर का निर्माण जीवन रक्षक साबित हो सकता है।
पूर्व विधायक गिरधारीलाल महिया ने खुलकर कहा कि—
“मेरे कार्यकाल में ट्रॉमा सेंटर और उपजिला अस्पताल की नई बिल्डिंग की घोषणा राज्य सरकार द्वारा कर दी गई थी, लेकिन आज तक निर्माण शुरू नहीं हुआ। यह राजनीति का परिणाम है।”
आंदोलन में जुटी जनता, ‘ललकार रैली’ बनी हुंकार
ट्रॉमा सेंटर संघर्ष समिति के नेतृत्व में एसडीएम ऑफिस के सामने चल रहे धरने में सोमवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण और शहरी लोग शामिल हुए। ‘ललकार रैली’ के जरिए जनता ने स्पष्ट कर दिया कि अब आंदोलन केवल कागजों पर नहीं रहेगा।
सोनिया राजपुरोहित, जो संघर्ष समिति की सक्रिय सदस्य हैं, ने कहा—
“जब तक ट्रॉमा सेंटर का निर्माण नहीं होगा, तब तक हमारा संघर्ष नहीं रुकेगा।”
सरकार और प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
प्रशासन के साथ दो बार समझौता वार्ता हुई, लेकिन दोनों बार बात बेनतीजा रही। आंदोलनकारियों का आरोप है कि प्रशासन केवल समय खींच रहा है, जबकि धरातल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आरएलपी नेता डॉ. विवेक माचरा ने प्रशासन की निष्क्रियता पर कहा—
“सरकार और प्रशासन दोनों ही जनता की इस बुनियादी स्वास्थ्य मांग को नजरअंदाज कर रहे हैं।”
संघर्ष समिति के नेताओं ने कही यह बातें:
- नत्थूनाथ मंडा: युवाओं से इस आंदोलन में खुलकर भाग लेने की अपील की।
- कॉ. मुकेश ज्याणी, मुखराम गोदारा, रामरतन बुड़िया: जनता से ट्रॉमा सेंटर और उपजिला अस्पताल की मांग पर एकजुट होने का आह्वान।
- एडवोकेट राजीव आत्रेय, प्रकाश गांधी, हरिप्रसाद सिखवाल: आंदोलन को कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से तेज करने की बात कही।
अब क्या होगा अगला कदम?
महिया और संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि—
“अगर मंगलवार को जिला कलेक्टर से बात नहीं बनी तो हम श्रीडूंगरगढ़ से बीकानेर तक पैदल मार्च करेंगे और वहां कलेक्टर ऑफिस का घेराव किया जाएगा।”
यह तय है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में आंदोलन और अधिक उग्र हो सकता है।
प्रशासन की ओर से वार्ता में मौजूद रहे:
- उपखंड अधिकारी उमा मित्तल
- तहसीलदार कुलदीप मीणा
- सीआई जितेंद्र स्वामी
- बीएमओ राजीव सोनी
- पीएमओ डॉ. एसके बिहाणी
परंतु ये सभी अधिकारी संघर्ष समिति को कोई ठोस आश्वासन देने में असफल रहे।
निष्कर्ष: कब मिलेगा श्रीडूंगरगढ़ को ट्रॉमा सेंटर?
श्रीडूंगरगढ़ ट्रॉमा सेंटर की मांग अब केवल एक मांग नहीं, बल्कि जनभावना बन चुकी है। यह सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं का मामला नहीं, बल्कि आम जनता के जीवन और सुरक्षा से जुड़ा विषय है।
सरकार को अब यह समझना होगा कि स्वास्थ्य सुविधाएं राजनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि जनता का हक होती हैं।
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📌 संबंधित प्रश्न (FAQs)
Q1. श्रीडूंगरगढ़ ट्रॉमा सेंटर की मांग कब से चल रही है?
यह मांग पूर्व विधायक गिरधारी महिया के कार्यकाल में शुरू हुई थी, जब इस पर राज्य सरकार ने घोषणा की थी।
Q2. अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?
दो बार प्रशासन से वार्ता हो चुकी है, लेकिन निर्माण का कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है।
Q3. आगे क्या होगा?
यदि जिला कलेक्टर से वार्ता विफल रही, तो आंदोलनकारी श्रीडूंगरगढ़ से बीकानेर तक पैदल मार्च करेंगे।
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