बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में दवाओं की किल्लत: कैंसर मरीजों पर आफत, प्रशासन बेबस!

बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में कैंसर और गंभीर बीमारियों की जरूरी दवाएं खत्म हो गई हैं। मरीज इलाज के लिए तरस रहे हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट कि आखिर क्यों संकट में है बीकानेर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल।
बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल न्यूज

बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में दवा संकट! कैंसर, संक्रमण और रेडियोलॉजी के मरीज बेहाल

फोकस कीवर्ड: बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल

बीकानेर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में इन दिनों मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वजह है – कैंसर और गंभीर बीमारियों की जरूरी दवाओं की जबरदस्त किल्लत। चाहे रेडियोलॉजी जांच हो या प्रोस्टेट जैसी समस्याएं, पीड़ितों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।

कौन-कौन सी दवाएं हैं शॉर्ट?

अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट और मरीजों की शिकायतों से यह साफ है कि बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में कई जरूरी दवाएं उपलब्ध ही नहीं हैं। जानिए किन दवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है और वो फिलहाल उपलब्ध नहीं:

1. लैपटिनिब

स्तन कैंसर की एक अहम दवा, खासकर उन महिलाओं के लिए जो HER-2 पॉजिटिव हैं। इस दवा की कमी का मतलब है – कीमोथेरेपी के बाद भी राहत नहीं।

2. लेनालिडोमाइड

यह दवा मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) और कुष्ठ रोग की जटिल स्थितियों में दी जाती है। वर्तमान में यह दवा भी उपलब्ध नहीं है।

3. सोराफेनिब

लीवर, थायरॉइड और किडनी कैंसर के मरीजों के लिए यह दवा बेहद जरूरी है। पर इसकी अनुपलब्धता ने कई रोगियों की जान जोखिम में डाल दी है।

4. टैम्सुलोसिन

प्रोस्टेट की समस्या से जूझ रहे बुजुर्गों के लिए यह दवा राहत का एकमात्र सहारा है। लेकिन बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में यह भी गायब है।

5. आयोहेक्सोल इंजेक्शन

रेडियोलॉजिकल जांचों में इस्तेमाल होने वाला यह इंजेक्शन न होने से MRI और CT स्कैन जैसी जांचें टालनी पड़ रही हैं।

6. पिप्टाज इंजेक्शन

गंभीर इन्फेक्शन वाले मरीजों को दी जाने वाली यह दवा भी अब अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। इससे पेट, फेफड़े और गर्भाशय के संक्रमणों के मरीज संकट में हैं।

मरीजों की हालत बेहद खराब, बाजार से खरीदनी पड़ रही महंगी दवाएं

जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं या OPD में इलाज ले रहे हैं, उन्हें बाहर के मेडिकल स्टोर्स से 5 गुना दामों पर दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। इससे उनके ऊपर आर्थिक बोझ तो बढ़ ही रहा है, साथ ही मानसिक तनाव भी गहरा गया है।
बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल का भरोसा करने वाले गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद चिंता की बात है।

प्रशासन ने भी मानी दवा संकट की बात

बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल के ड्रग हाउस नोडल इंचार्ज डॉ. संजय लोडा ने स्वीकार किया कि कुछ दवाएं स्टॉक में नहीं हैं और उनकी मांग मेडिकल स्टोर को भेज दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि शॉर्टेज की जानकारी अस्पताल के अधीक्षक को दे दी गई है।

क्यों जरूरी है समय पर दवाएं मिलना?

  • कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए समय पर दवा मिलना जीवन रक्षक होता है।
  • संक्रमण वाले मरीजों को देरी से इलाज मिलने पर जान का खतरा हो सकता है।
  • रेडियोलॉजिकल जांच में देरी से बीमारी की पहचान देर से होती है, जिससे इलाज भी देर से शुरू होता है।

क्या करने की जरूरत है?

  1. आपातकालीन दवा आपूर्ति की व्यवस्था हो।
  2. दवा वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए।
  3. वार्ड लेवल पर दवा ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाए ताकि कमी पहले ही पकड़ में आ सके।
  4. प्रशासन को चाहिए कि वो हर हफ्ते दवा स्टेटस की पब्लिक रिपोर्ट जारी करे।

बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में दवाओं की इस किल्लत ने न सिर्फ मरीजों की जान को जोखिम में डाला है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ये वक्त है जब प्रशासन को नींद से जागने की जरूरत है और सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी मरीज सिर्फ दवा की कमी से अपनी जान न गंवाए।

FAQs

Q. बीकानेर पीबीएम हॉस्पिटल में कौन-कौन सी दवाएं नहीं मिल रही हैं?
A. लैपटिनिब, लेनालिडोमाइड, सोराफेनिब, टैम्सुलोसिन, आयोहेक्सोल और पिप्टाज जैसी जरूरी दवाएं शॉर्ट हैं।

Q. क्या प्रशासन ने इस दवा संकट को स्वीकार किया है?
A. हां, ड्रग हाउस नोडल इंचार्ज ने माना है कि कुछ दवाएं स्टॉक में नहीं हैं और डिमांड भेजी जा चुकी है।

Q. इससे मरीजों को क्या नुकसान हो रहा है?
A. इलाज में देरी, महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है, मानसिक और आर्थिक तनाव बढ़ रहा है।

Q. क्या कोई समाधान सुझाया गया है?
A. आपात आपूर्ति, दवा ट्रैकिंग सिस्टम और पारदर्शी वितरण प्रक्रिया की सिफारिश की गई है।

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