मिशन सिंदूर: धर्म पूछ के मारा, आज धर्मयुद्ध से हारा पाकिस्तान

शांति की बात वहीं तक ठीक है, जहाँ तक दुश्मन समझे।”22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में भारत के 26 नागरिक शहीद हो गए। देश में ग़म और ग़ुस्से का माहौल था, और हर नागरिक के मन में एक ही सवाल था – अब क्या होगा?

एयर स्ट्राइक:

"हिंदुस्तान की आवाज़, भारत खबर के साथ"

7 मई 2025 को तड़के भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह एक सर्जिकल स्ट्राइक से भी ज़्यादा सटीक और गहरी चोट थी, जिसे कोडनेम दिया गया – मिशन सिंदूर।यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह एक संदेश था – कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। भारतीय मिराज विमानों ने LoC पार करते हुए पाकिस्तान के अंदर जाकर आतंकी कैंप तबाह किए और बिना किसी नुकसान के सुरक्षित लौट आए।क्यों “मिशन सिंदूर”?

सिंदूर” भारतीय संस्कृति में शौर्य, बलिदान और नारी सम्मान का प्रतीक है। इस मिशन को यह नाम देना हर उस वीर जवान को श्रद्धांजलि थी, जो देश की रक्षा में अपना सब कुछ न्योछावर कर देता है – ठीक वैसे ही जैसे एक पत्नी अपने पति की शहादत के बाद भी अपने सिंदूर को सम्मान देती है।अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाइस कार्रवाई के बाद भारत की वैश्विक छवि एक शांतिप्रिय लेकिन निर्णायक देश की बनी। विश्व समुदाय ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया और पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने को लेकर दबाव बनाया।निष्कर्षमिशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था – यह एक भावनात्मक, रणनीतिक और सांस्कृतिक प्रतिक्रिया थी। यह मिशन बताता है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अगर कोई उसकी अखंडता पर वार करेगा, तो जवाब उसी भाषा में मिलेगा।