भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट हुआ महंगा! 7000 करोड़ की बढ़ी लागत से क्या मिलेंगे बेहतर सफर के विकल्प?

भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की संशोधित लागत 7000 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। जानिए क्या है कारण, कितनी बढ़ी लागत, और कैसे बदल जाएगा इन शहरों का भविष्य।
भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट

परिचय: मेट्रो सिर्फ रेल नहीं, शहर की रफ्तार है

शहर जब तेजी से बढ़ते हैं, तो वहाँ की ट्रैफिक व्यवस्था पर सबसे बड़ा दबाव पड़ता है। मेट्रो ट्रेन सिर्फ एक यात्रा साधन नहीं, बल्कि शहरी जीवनशैली की जरूरत बन चुकी है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और व्यापारिक राजधानी इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्ट का सपना सालों पहले देखा गया था। अब जब यह प्रोजेक्ट ज़मीनी हकीकत बन रहा है, तब इसके खर्च में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई—भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत अब 7000 करोड़ रुपये से अधिक बढ़ चुकी है।

क्यों बढ़ी भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत?

मूल रूप से इन दोनों प्रोजेक्ट्स की अनुमानित लागत 2015 के स्टैंडर्ड ऑफ रेट्स (SOR) के आधार पर तैयार की गई थी, जिसे 2018 में मंजूरी मिली थी। लेकिन बीते कुछ वर्षों में कई ऐसे फैक्टर सामने आए जिनकी वजह से लागत में बढ़ोतरी हुई:

बढ़ी हुई लागत के प्रमुख कारण:

  1. जीएसटी दर में बदलाव:
    12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई GST दर, जिससे मटेरियल और सर्विसेज महंगी हो गईं।
  2. स्ट्रक्चर और रूट में बदलाव:
    • भोपाल मेट्रो की लंबाई 27.28 किमी से बढ़ाकर 30.90 किमी कर दी गई।
    • इंदौर मेट्रो में भूमिगत स्टेशनों और सुरंगों की लंबाई बढ़ी।
  3. टेक्नोलॉजी और डिज़ाइन अपग्रेड:
    निर्माण कार्य में अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग अब जरूरी हो गया है, जिससे लागत में और इज़ाफा हुआ।

कितना हुआ खर्च?

शहरपुरानी लागत (₹ करोड़)नई लागत (₹ करोड़)वृद्धि (₹ करोड़)
भोपाल6,914.4010,0333,119
इंदौर6,914.4011,5014,587
कुल13,828.8021,5347,705.20

फंडिंग का फॉर्मूला: कौन दे रहा है पैसा?

भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को 20:20:60 फॉर्मूले पर फंड किया जा रहा है:

  • 20% केंद्र सरकार
  • 20% राज्य सरकार
  • 60% फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स/बैंक

बढ़ी हुई लागत के हिसाब से 3000 करोड़ से ज्यादा की अतिरिक्त राशि केंद्र और राज्य सरकारों को वहन करनी होगी।

काम की प्रगति: कौन आगे, कौन पीछे?

शहरअब तक मिले फंड (₹ करोड़)खर्च हुई राशि (%)
भोपाल347186%
इंदौर419789%

निष्कर्ष: इंदौर मेट्रो का निर्माण कार्य भोपाल की तुलना में थोड़ा आगे चल रहा है।

भोपाल मेट्रो: रूट विस्तार और भविष्य की योजना

मौजूदा और प्रस्तावित रूट्स:

  • करोंद से सुभाष नगर
  • एम्स से बैरागढ़
  • मिनाल से एयरपोर्ट
  • बैरागढ़ से फंदा
  • हबीबगंज नाका से मंडीदीप
  • बंजारी चौक से कोलार तिराहा

2042 तक 6 नए रूट्स प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 100+ किमी होगी।

निर्माण स्थिति:

  • सुभाष नगर से एम्स तक 7.1 किमी वायाडक्ट सितंबर 2025 तक चालू हो सकता है।
  • ब्लू लाइन पूरी तरह एलिवेटेड स्ट्रक्चर पर आधारित है।

इंदौर मेट्रो: भूमिगत रूट और भविष्य की योजना

प्रस्तावित रूट्स (2027-2032 के लिए):

  1. अरबिंदो अस्पताल से राजेंद्र नगर (वाया बड़ा गणपति) – 16.01 किमी
  2. सिरपुर झील से पिपलियाहाना चौराहा (वाया धार रोड) – 12.2 किमी

लव-कुश कॉरिडोर:

इंदौर-उज्जैन और इंदौर-पीथमपुर को जोड़ने के लिए 84 किमी लंबा मेट्रो रूट प्रस्तावित है, जिसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) ने सौंप दी है।

उज्जैन में भी चलने लगी है हलचल

सीएमपी के तहत उज्जैन में केबल कार के चार रूट प्रस्तावित किए गए हैं। यह उज्जैन जैसे धार्मिक शहर में ट्रैफिक प्रेशर को कम करने का एक अनोखा समाधान साबित हो सकता है।

लक्ष्यों की दिशा में अगला कदम

शहरआगामी टारगेटसमयसीमा
भोपाल20% वायाडक्ट निर्माण2025-26
इंदौरभूमिगत कॉरिडोर निर्माण शुरूअक्टूबर 2025

आम जनता को क्या फायदा?

  • कम ट्रैफिक जाम
  • तेजी से सफर
  • पर्यावरण अनुकूल परिवहन
  • रोजगार के नए अवसर

चुनौतियाँ भी कम नहीं

  1. बढ़ती लागत को लेकर राज्य और केंद्र सरकारों पर वित्तीय दबाव।
  2. विलंब से प्रोजेक्ट का ट्रस्ट घट सकता है।
  3. भू-अधिग्रहण, डिज़ाइन अप्रूवल और लोकल विरोध जैसी प्रशासनिक चुनौतियाँ।

निष्कर्ष: लागत बढ़ी, लेकिन उम्मीद भी बढ़ी

भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट अब सिर्फ दो शहरों की नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के भविष्य की दिशा तय करने वाली परियोजना बन चुकी है। लागत में बढ़ोतरी से अस्थाई झटका जरूर है, लेकिन अगर प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है, तो इसका फायदा लाखों नागरिकों को मिलेगा।

FAQs:

Q.1: भोपाल मेट्रो की कुल लागत कितनी हो गई है?
Ans: अब यह बढ़कर 10,033 करोड़ रुपये हो गई है।

Q.2: इंदौर मेट्रो में भूमिगत कॉरिडोर कब शुरू होगा?
Ans: अक्टूबर 2025 तक इसके शिलान्यास की योजना है।

Q.3: भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट का फंडिंग मॉडल क्या है?
Ans: 20% केंद्र, 20% राज्य और 60% फंडिंग एजेंसियों द्वारा।

Q.4: इंदौर उज्जैन मेट्रो की क्या स्थिति है?
Ans: इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, डीपीआर पर काम शुरू होगा।

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